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बड़वाह/बड़ूद/बेड़ियां | रिपोर्ट: प्रेम कुण्डले | The India Speaks
बड़वाह-बड़ूद से बेड़ियां क्षेत्र में चल रही स्कूल बसें बच्चों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही हैं। इन बसों पर न तो आरटीओ का नियंत्रण है और न ही पुलिस प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट और जिला प्रशासन की गाइडलाइन के बावजूद स्कूल वाहन बिना जांच और नियमों का उल्लंघन करते हुए सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
नियमों की धज्जियां उड़ाते स्कूल वाहन
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अधिकतर वाहन चालक और परिचालक बिना यूनिफॉर्म और नेम प्लेट के हैं।
बसों में सुरक्षा उपकरणों का अभाव, अग्निशमन यंत्र नहीं, स्पीड गवर्नर और GPS भी नहीं।
क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाकर किया जा रहा परिवहन।
कुछ ड्राइवर फोर व्हीलर लाइसेंस पर हेवी वाहन चला रहे हैं, जो नियमों के विरुद्ध है।
जुगाड़ से चल रही आधी से ज्यादा वैन
बच्चों की जान से खिलवाड़ करते हुए कई वैन घरेलू सिलेंडर, खराब टायर, बिना वाइपर और बिना लाइट के दौड़ रही हैं। कुछ वाहन तो सफेद रंग में निजी वाहन की तरह चलाए जा रहे हैं, जिन पर स्कूल का नाम तक नहीं लिखा है।
🛑 प्रशासन और स्कूल प्रबंधन की अनदेखी
परिवहन और पुलिस विभाग की लचर निगरानी और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के कारण यह समस्या विकराल रूप ले रही है। हर साल केवल औपचारिकता के तौर पर जांच की जाती है। दो-चार दिन जांच कर इतिश्री कर दी जाती है।
🧒 अभिभावकों की पीड़ा
अभिभावकों ने मांग की है कि:
सभी स्कूल वाहनों की सख्ती से जांच की जाए।
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो।
बच्चों की सुरक्षा के लिए नियमों का पूरी तरह पालन करवाया जाए।
📢 आरटीओ का पक्ष
रितु अग्रवाल, आरटीओ, खरगोन ने बताया:
“स्कूल वाहनों की जांच का अभियान सतत रूप से जारी है। हाल ही में सनावद क्षेत्र में भी जांच की गई थी। जो वाहन सफेद रंग के हैं, वे निजी हो सकते हैं। यदि कोई शिकायत मिलती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
🔍 निष्कर्ष
बच्चों की सुरक्षा के मामले में अनदेखी की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। जब तक प्रशासन, स्कूल प्रबंधन और अभिभावक मिलकर इस विषय को गंभीरता से नहीं लेंगे, तब तक किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार ही बचता है।
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