The India Speaks | संवाददाता – सत्यनारायण शर्मा | खण्डार (सवाई माधोपुर)
राजस्थान के खण्डार कस्बे में स्थित हजारों साल पुराने बड़ा तालाब और बगरू वाला बांध इन दिनों अतिक्रमण की गंभीर चपेट में हैं। खण्डार की “लाइफलाइन” माने जाने वाले इन जल स्रोतों की पालों को तोड़कर रसूखदारों और राजनेताओं ने अवैध निर्माण कर डाले हैं।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह अतिक्रमण मुख्य हाईवे के किनारे हो रहा है, जहां से रोजाना मंत्री, विधायक, सांसद, कलेक्टर और एसपी जैसे शीर्ष अधिकारी गुजरते हैं — बावजूद इसके प्रशासन पूरी तरह मूकदर्शक बना हुआ है।
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📍 लाखों की जमीन पर कब्जा, लेकिन कार्रवाई सिर्फ गरीबों पर


जानकारों के अनुसार, जिन ज़मीनों पर यह कब्जे हुए हैं, उनकी वास्तविक कीमत 50 से 60 हजार रुपये प्रति वर्गगज तक आंकी जा रही है। यानी, करोड़ों रुपये की सरकारी संपत्ति पर कब्जा कर पक्के निर्माण कर लिए गए हैं।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि प्रशासन ने अब तक केवल छोटी मछलियों पर कार्रवाई की है — यानी गरीब या कमजोर लोगों के अतिक्रमण पर बुलडोज़र चलता है, जबकि बड़े रसूखदारों को संरक्षण मिलता दिख रहा है।
⚠️ तालाबों का अस्तित्व संकट में
इन जलस्रोतों की पाल को तोड़कर किए गए निर्माणों ने तालाबों के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा कर दिया है। यह केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि भविष्य की जल संकट की चेतावनी भी है।