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द इंडिया स्पीक्स | रितेश दुबे
लंदन/छतरपुर। भारत के प्रसिद्ध कथावाचक एवं बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को ब्रिटेन की संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें मानवता, वैश्विक प्रेम, शांति और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में किए जा रहे योगदान के लिए प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन की संसद में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया, जिसमें वहां मौजूद कई सांसद और गणमान्य अतिथि शामिल हुए। इस ऐतिहासिक क्षण ने भारत की संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर की वैश्विक स्वीकृति को रेखांकित किया।
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समारोह में मौजूद रहे कई गणमान्य अतिथि
हाउस ऑफ कॉमन्स में आयोजित इस कार्यक्रम में यूके की सांसद सीमा मल्होत्रा, हैरो सिटी की मेयर अंजना पटेल, सांसद बॉब ब्लेकमैन और हाउस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्य बारोनेस वर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं। सभी ने पं. शास्त्री द्वारा भारत में किए जा रहे समाज सेवा के कार्यों की सराहना की।

गरीब बेटियों के विवाह, अन्न सेवा और अस्पताल निर्माण को मिली सराहना
कार्यक्रम में पं. धीरेन्द्र शास्त्री के द्वारा गरीब बेटियों के सामूहिक विवाह, अन्नपूर्णा सेवा, और कैंसर अस्पताल निर्माण जैसे जनकल्याणकारी कार्यों का विशेष उल्लेख किया गया। शास्त्री ने कहा कि—
“इन सभी सेवाओं की प्रेरणा मुझे भारतीय शास्त्रों से मिलती है, जो ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ का संदेश देते हैं।”
बागेश्वर धाम आने का दिया न्योता
अपने संबोधन में पं. शास्त्री ने भारतवंशियों और ब्रिटेनवासियों को बागेश्वर धाम आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि—
“विश्व शांति के लिए सनातन जीवनशैली ही एकमात्र समाधान है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना से ही वैश्विक कल्याण संभव है।”
ब्रिटेन की संसद में गूंजी सनातन संस्कृति
एक समय था जब ब्रिटेन की संसद में भारत की बात नहीं सुनी जाती थी, वहीं अब उसी संसद में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ हुआ। यह दृश्य भारत की आध्यात्मिक पहचान और संस्कृति की विश्व स्तर पर बढ़ती स्वीकृति का प्रतीक बना।
पाकिस्तान मूल के मोहम्मद आरिफ ने अपनाया सनातन धर्म
कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान में जन्मे मोहम्मद आरिफ ने पं. शास्त्री की उपस्थिति में सनातन धर्म अपनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि—
“मैंने भागवत गीता पढ़ी और उसका अनुसरण करते हुए अब स्वयं को हिंदू मानता हूं।”
जब उन्होंने पं. शास्त्री से पूछा कि क्या हिंदू बनने के लिए नाम बदलना आवश्यक है, तो शास्त्री ने उत्तर दिया—
“हिंदू कोई धर्म नहीं, बल्कि एक विचारधारा है जो मानवता का मार्ग दिखाती है। यदि आपके विचार सनातनी हो गए हैं, तो आप पहले ही इस पथ पर हैं।”