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✒️ द इंडिया स्पीक्स | विशेष रिपोर्ट | प्रभु रंसोरे
महेश्वर/ खरगोन
जनजातीय पद के लिए खुद को बताया ‘भिलाला’, अब जांच में सामने आई असल पहचान
खरगोन जिले की महेश्वर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली कतरगांव ग्राम पंचायत की महिला सरपंच माधुरी उर्फ माया पति प्रकाश पाटीदार एक बड़े फर्जीवाड़े में फंसती नजर आ रही हैं। आरोप है कि उन्होंने अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षित सरपंच पद के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर चुनाव लड़ा और वर्ष 2022 में जीत दर्ज की।
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💥 फर्जीवाड़े का पर्दाफाश कैसे हुआ?
ग्राम पंचायत के पंच राधेश्याम मोरे को सरपंच की जातीय स्थिति पर पहले से शंका थी। उन्होंने पहले भी ग्रामीणों की ओर से शिकायतें की थीं, लेकिन राजनैतिक संरक्षण के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः राधेश्याम ने राज्य स्तरीय अनुसूचित जनजाति छानबीन समिति, भोपाल में शिकायत की, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक बड़वानी ने जांच के आदेश दिए।
जांच की कमान उप अधीक्षक आजाक जितेंद्र सिंह भास्कर और थाना प्रभारी आजाक बड़वानी को सौंपी गई।
📄 प्रमाण पत्र में दर्ज पहचान और सच्चाई में फर्क
जांच में यह सामने आया कि माधुरी ने 1 नवम्बर 2014 को प्रमाण पत्र क्रमांक RS/441/0104/4474/2014 एसडीएम कार्यालय, राजपुर (बड़वानी) से बनवाया था। इसमें उन्होंने खुद को भिलाला जनजाति की सदस्य बताया।
लेकिन असलियत कुछ और ही निकली।
🔎 पुलिस जांच में माधुरी ने खुद स्वीकार किया कि वह मोतिया पिता मांगीलाल (भिलाला) की दत्तक पुत्री हैं, जिसकी आड़ में प्रमाण पत्र बनवाया गया। लेकिन वास्तविक रूप से उनके जन्मदाता पिता पंडित अहीरे व माता लता हैं, जो शाहदा, जिला नंदुरबार (महाराष्ट्र) के निवासी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी महाराष्ट्र में हुई थी।
⚖️ अब क्या हो सकता है?
इस फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रकरण में:
सरपंच माधुरी को पद से हटाया जा सकता है
फर्जीवाड़ा करने पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है
प्रमाण पत्र जारी करने वाले तत्कालीन SDM जे.एस. बोरिया पर भी जांच की तलवार लटक रही है
शिकायतकर्ता राधेश्याम मोरे ने जनसुनवाई पोर्टल, कलेक्टर कार्यालय और जनपद पंचायत कार्यालय में दस्तावेज सौंपकर कार्रवाई की मांग की है। अब निगाहें जिला प्रशासन खरगोन की भूमिका पर टिकी हैं कि वह क्या कदम उठाता है।
🧾 दस्तावेजों में जो सामने आया:
जाति प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि: 1 नवम्बर 2014
जारी करने वाला कार्यालय: एसडीएम राजपुर, जिला बड़वानी
नाम: माधुरी पिता मोतिया, माता ताराबाई
वास्तविक जानकारी: पिता पंडित अहीरे, माता लता, निवासी महाराष्ट्र
📌 निष्कर्ष:
ग्राम पंचायत स्तर पर चुनावी गड़बड़ियों में यह मामला मिसाल बन सकता है। अनुसूचित जनजाति के नाम पर पद हथियाना न केवल सामाजिक न्याय के साथ धोखा है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों का भी उल्लंघन है।