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मध्यप्रदेश लाड़ली बहना | विशेष रिपोर्ट | द इंडिया स्पीक्स
मध्यप्रदेश सरकार की चर्चित लाड़ली बहना योजना का नाम आज लगभग हर घर में गूंज रहा है। लाखों महिलाओं को ₹1,250 प्रतिमाह की सीधी आर्थिक मदद दी जा रही है। सरकार का दावा है कि इससे 1.31 करोड़ बहनों को सशक्त किया गया।
लेकिन इसी “सशक्तिकरण” की परतों के नीचे वंचना की एक चुप आवाज़ भी है, जिसे सत्ता शायद सुनना ही नहीं चाहती।
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🚫 वंचित महिलाएं: एक अनदेखा वर्ग
राज्य के कई जिलों — हरदा, बैतूल, खरगोन, जबलपुर, श्योपुर — से खबरें हैं कि हज़ारों महिलाएं आज भी योजना से वंचित हैं, जबकि उन्होंने समय पर आवेदन किया था।
क्या कहती हैं ज़मीनी हकीकत?
3.5 लाख से अधिक महिलाओं को योजना से हटाया गया
16 महीने से योजना में कोई नया पंजीकरण नहीं हुआ
आवेदन के बाद सुधार की कोई ठोस प्रक्रिया नहीं दी गई
बैंक, आधार और समग्र की तकनीकी गड़बड़ियों पर महिलाओं को बाहर कर दिया गया
दर्जनों जिलों में महिलाओं ने ज्ञापन, धरना, प्रदर्शन तक किए — लेकिन बहरी चुप्पी कायम रही
🤔 सवाल उठते हैं…
क्या “सशक्तिकरण” का मतलब सिर्फ उन्हीं महिलाओं तक सीमित है जो पहली बार में सिस्टम से सही जुड़ गईं?
क्या तकनीकी गड़बड़ी महिलाओं का हक छीनने का आधार बन सकती है?
क्या सरकार यह मानती है कि योजना अब पूरी हो चुकी है?
अगर योजना वाकई “हर बहन के लिए” थी, तो जो छूटी हैं, उन्हें अब तक क्यों नहीं जोड़ा गया?
📉 ‘लोकलुभावन’ या ‘समावेशी’? सरकार को तय करना है
राज्य सरकार की यह योजना कागज़ पर जनहित की मिसाल बन चुकी है। लेकिन जब ज़मीनी वास्तविकता ये हो कि सैकड़ों पंचायतों में पात्र बहनें आज भी अपात्र घोषित हैं, तो सवाल लाज़िमी है:
क्या लाड़ली बहना योजना सिर्फ एक सांख्यिकीय उपलब्धि है — या वाकई इसका मक़सद “हर बहन” को जोड़ना था?
कितनी महिलाएं वंचित हैं?
सरकार भले ही दावा करे कि “1.31 करोड़ बहनों को जोड़ लिया गया है”, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और बयां करती है। विभिन्न मीडिया रिपोर्टों और जिलों से मिले आँकड़ों पर नज़र डालें, तो यह साफ होता है कि:
स्रोत वंचित महिलाओं की संख्या विवरण
📰 ETV Bharat (हरदा जिला) 27,000+ सिर्फ हरदा जिले की आदिवासी महिलाएं, जिन्होंने प्रदर्शन किया
📰 Bhaskar English रिपोर्ट 3.5 लाख महिलाएं हटा दी गईं समग्र पोर्टल से तकनीकी/प्रशासनिक कारणों से
📰 NDTV रिपोर्ट 16 महीने से आवेदन बंद जिससे लाखों नई पात्र महिलाएं योजना से ही बाहर
📉 विश्लेषण अनुमान 7–8 लाख वंचित महिलाएं राज्यभर में संभावित कुल संख्या
इनमें से कुछ महिलाएं पहले लाभ ले रही थीं, लेकिन नाम काट दिया गया। कुछ ने पहली बार आवेदन ही नहीं कर पाए, क्योंकि 16 महीनों से योजना में नया रजिस्ट्रेशन ही नहीं खोला गया।
❗ सवाल ये नहीं कि कितनों को जोड़ा गया… सवाल ये है कि जिन्हें जोड़ा जाना था, वो क्यों छूट गईं?