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The India Speaks की विशेष रिपोर्ट
⚡ खंडवा में सोलर घोटाले पर बड़ी कार्रवाई
खंडवा। भमगढ़ क्षेत्र में संचालित 300 मेगावाट का यू पी सी मसाया सोलर प्लांट अब विवादों के घेरे में है। शुक्रवार देर रात जिला प्रशासन ने इस प्लांट को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया।
कलेक्टर ऋषव गुप्ता के निर्देश पर गठित संयुक्त जांच दल ने प्लांट पर छापा मारते हुए बिजली उत्पादन और संचालन पर रोक लगा दी।
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जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं:
आदिवासी किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा
बिना अनुमति प्लांट निर्माण
मुआवजा नहीं दिया गया
कई किसानों के बैंक खातों से धोखाधड़ी
🧾 शिकायत से लेकर कार्रवाई तक की कहानी
यह मामला तब सामने आया जब इंदौर संभागायुक्त को ग्रामीणों की ओर से शिकायत मिली कि आदिवासियों की ज़मीन पर जबरन सोलर प्लांट खड़ा कर दिया गया है।
जांच में यह पुष्टि हुई कि ग्राम धरमपुरी, कनवानी, भावसिंगपुरा, बड़गांव माली और सिवना के किसानों से बिना वैधानिक प्रक्रिया के ज़मीन ली गई। कई मामलों में अनुसूचित जाति-जनजाति के किसानों को धमकाकर कब्जा लिया गया और मुआवजा भी नहीं दिया गया।
⚠️ बिना अनुमति शुरू कर दिया उत्पादन
मसाया कंपनी ने न तो धारा 165(6) के अंतर्गत ज़रूरी अनुमति ली और न ही NOC प्राप्त किया। फिर भी 2022 से उत्पादन चालू कर दिया गया।
कलेक्टर के अनुसार, यह न सिर्फ भूमि अधिग्रहण कानून बल्कि बिजली और पर्यावरण नियमों का भी सीधा उल्लंघन है।
🌳 सरकारी ज़मीन पर भी कब्जा
जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कंपनी ने करीब 60 एकड़ शासकीय भूमि पर भी अवैध रूप से कब्जा किया –
जिसमें नाले, सड़कें, चरनोई और छोटे जंगल मद की ज़मीन शामिल हैं।
इन पर किसी भी प्रकार की लीज, ट्रांसफर या अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
🤝 प्रशासनिक मिलीभगत और भू-माफिया गठजोड़
सूत्रों के अनुसार, इस पूरे खेल में तत्कालीन राजस्व अधिकारियों, भू-माफियाओं और कुछ राजनीतिक रसूखदारों की मिलीभगत थी।
एक बड़े भू-माफिया गिरोह ने 3000 एकड़ ज़मीन पर अवैध रूप से कब्जा कर उसे आगे कंपनी को बेचा।
कलेक्टर ने यह भी कहा है कि जिन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, उनके खिलाफ रिश्वत, संपत्ति जांच और सेवा से बर्खास्तगी की सिफारिश की जाएगी।
🌍 कंपनी का प्रोफाइल: विदेशी फंडिंग, गुरुग्राम से संचालन
कंपनी: मसाया सोलर एनर्जी
साझेदारी: अमेरिकी व फिलिस्तीनी निवेशक
मुख्यालय: गुड़गांव, हरियाणा
स्थापना: 2020
उत्पादन शुरू: 2022 (बिना अनुमति)
📉 विकास या शोषण?
इस प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है –
क्या विकास की आड़ में मूलनिवासी समाज का लगातार शोषण हो रहा है?
जहां सरकार हरित ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है, वहीं यह मामला प्रशासन, पूंजी और सत्ता के गठजोड़ का खतरनाक उदाहरण बनकर सामने आया है।
🔒 अब आगे क्या?
प्लांट पर संचालन पर रोक और सीलिंग की प्रक्रिया पूरी
संयुक्त जांच दल की अंतिम रिपोर्ट के आधार पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाएंगे
राजस्व, बिजली व अन्य विभागों को कार्रवाई हेतु निर्देश
❝ यदि प्रशासन, राजनीति और पूंजीपति वर्ग का ऐसा त्रिकोण गठबंधन गरीबों की ज़मीन निगलता रहेगा, तो सच्चा विकास कभी नहीं हो पाएगा। अब यह देखना है कि क्या दोषियों पर कार्रवाई होती है या मामला फाइलों में दफ्न हो जाएगा। ❞