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बसपा के झंडे में लिपटी अंतिम यात्रा, खेड़ीघाट में हुआ अंतिम संस्कार
बड़वाह | The India Speaks डेस्क
अनुसूचित जाति समाज और बहुजन आंदोलन के प्रखर नेता संजय सोलंकी को गुरुवार सुबह ‘जय भीम’ के नारों और बसपा के झंडे में लिपटी अंतिम यात्रा के साथ विदाई दी गई। बुधवार रात दिल का दौरा पड़ने से उनका आकस्मिक निधन हो गया था। उनके निधन से संपूर्ण क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई है।
हजारों की भीड़ ने दी नम आंखों से विदाई
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उनकी अंतिम यात्रा सनावद स्थित निज निवास से प्रारंभ हुई और नर्मदा नदी के उत्तर तट नावघाट खेड़ीघाट तक पहुंची, जहां पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम विदाई में हजारों की संख्या में बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता, समाजजन व राजनीतिक सहयोगी उपस्थित रहे।
मुखाग्नि उनके पुत्र आर्यन सोलंकी ने दी।
झंडे में लिपटी अंतिम यात्रा बनी प्रेरणा का दृश्य
बसपा के झंडे में लिपटी उनकी शवयात्रा जब निकली तो पूरे नगर में ‘जय भीम’, ‘संजय सोलंकी अमर रहें’ जैसे नारों की गूंज सुनाई दी। लोग न सिर्फ उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे, बल्कि उनके संघर्षों और सेवाभाव की चर्चा करते हुए भावुक भी हो रहे थे।
वरिष्ठजनों ने दी श्रद्धांजलि, बताया प्रेरणास्रोत
अंतिम संस्कार में शामिल हुए समाज के वरिष्ठजनों ने संजय सोलंकी को बहुजन चेतना का सच्चा सिपाही बताया।
श्रद्धांजलि देने पहुंचे प्रमुख जनों में शामिल रहे:
डॉ. एन.एस. सोलंकी, बी.आर. सांवले, अमरसिंह चौहान, डॉ. एम.आर. सोलंकी, सरपंच रमेश अंजना, प्रेमलाल अंजना, यशवंत मन्सोरे, द्वारका प्रसाद सिटोले, दिलीप प्रसाद, रामेश्वर पंचोली, आर.सी. मनागरे, पुष्पेंद्र रावल, दिनेश मंसारे, राधेश्याम मकवाने, कमल अंजना, मुकेश सिसोदिया, ललित लिमनपुरे, रितेश कस्तूरे, अनिल कनाडे, बिहारी सिटोले, लोकेश कोचले , ओंकार चौहान , रूपसिंह मोयदे , महेश ढील्लौरे सहित सैकड़ों बसपा कार्यकर्ता।
उन्होंने कहा कि संजय सोलंकी का जीवन बहुजन समाज के लिए प्रेरणादायी था और वे अंत तक सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते रहे।
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