गीता के श्लोक अनिवार्य करने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया, संविधान का किया हवाला
द इंडिया स्पीक्स डेस्क| उत्तराखंड
धर्मनिरपेक्षता पर हमला कर रही भाजपा सरकार?
भीम आर्मी प्रमुख और आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ़ रावण ने उत्तराखंड सरकार के उस निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें राज्य के सरकारी स्कूलों में भगवद गीता के श्लोकों को पढ़ाना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने इस कदम को भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष आत्मा पर सीधा हमला करार दिया।
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चंद्रशेखर ने सवाल उठाया है कि क्या भाजपा अब सरकारी स्कूलों को धर्मशाला में बदलना चाहती है? उन्होंने ट्विटर पर लिखा:
“क्या अब स्कूलों में बाइबल, कुरान और गुरु ग्रंथ साहिब भी पढ़ाए जाएंगे? या यह सिर्फ एक धर्म थोपने की साज़िश है?”
संविधान के अनुच्छेद 28(1) का दिया हवाला
चंद्रशेखर ने अपने ट्वीट में संविधान के अनुच्छेद 28(1) का ज़िक्र करते हुए लिखा:
“राज्य की निधि से चलने वाले किसी भी शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक शिक्षा या उपदेश नहीं दिया जा सकता।”
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में धार्मिक गतिविधियों को थोपा नहीं जा सकता, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हों। यह न सिर्फ संविधान का उल्लंघन है, बल्कि एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत भी है।
ConstitutionFirst बना विरोध का नारा
अपने बयान के अंत में चंद्रशेखर ने साफ किया कि उनका समर्थन किसी धर्म नहीं, बल्कि संविधान के साथ है। उन्होंने हैशटैग #ConstitutionFirst और #शिक्षापरधर्म_नहीं के ज़रिए इस फैसले के खिलाफ़ डिजिटल मुहिम भी छेड़ दी है।