📞 7772828778 | 📩 Email: editor@theindiaspeaks.com
किसानों ने जैविक खेती से किया इंकार, प्रमाणन एजेंसियों और समितियों पर उठे सवाल, कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन की चेतावनी
खरगोन/द इंडिया स्पीक्स / रितेश दुबे
जिले में जैविक खेती के नाम पर एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जिसने न केवल किसानों की मेहनत बल्कि जैविक उत्पादों में विश्वास रखने वाले उपभोक्ताओं की सेहत और भरोसे को भी झकझोर दिया है।
📞 7772828778 | 7723024600
सूत्रों के अनुसार, कुछ व्यापारी और समितियां सामान्य कपास को जैविक बताकर ऊंचे दामों पर बेच रहे थे। इस गड़बड़ी में कुछ प्रमाणन एजेंसियों की संलिप्तता की भी आशंका जताई जा रही है, जो बिना उचित जांच के जैविक प्रमाणपत्र और ट्रांजैक्शन सर्टिफिकेट जारी कर रही थीं।
किसानों के नाम और दस्तावेजों का हुआ गलत इस्तेमाल
सेगांव क्षेत्र के किसानों — रामदास पिता विक्रम, फूलसिंह पिता रायसिंह, सरदार पिता फूलसिंह और श्यामदास पिता विक्रम — ने आरोप लगाया कि उनकी अनुमति के बिना उनके नाम, आधार नंबर और खेतों की जानकारी का उपयोग कर फर्जी एग्रीमेंट और सर्टिफिकेट तैयार किए गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी जैविक खेती नहीं की।
इन किसानों के अनुसार, इन जाली दस्तावेजों के जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में जैविक कपास की बिक्री तक कर दी गई। उन्होंने रामकोला कृषक उद्यान समिति, चित्रई कृषक समिति, ईको नेक्टर खेड़ापुरा, और ईको नेक्टर छोटा डाबरपुरा के खिलाफ FIR की मांग की है।
प्रशासन तक पहुंची शिकायत, आंदोलन की चेतावनी
किसानों ने कलेक्टर, एसपी और कृषि विभाग में शिकायत की है, जो अपर कलेक्टर रेखा राठौर तक पहुंची। वहां से उन्हें उप संचालक कृषि शिवसिंह राजपूत के पास भेजा गया, जहां उन्होंने अपनी समस्या रखी।
उप संचालक राजपूत ने कहा कि, “पूर्व में भी इस प्रकार की शिकायतें आई थीं। अब कमेटी बनाकर जांच की जाएगी और रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी।”
किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि 8 दिनों में कार्रवाई नहीं हुई, तो वे हजारों किसानों के साथ जिला मुख्यालय पर आंदोलन करेंगे।